भारतीय ग्रामीण जीवन का यथार्थ चित्रण: प्रेमचंद की कहानियों के सन्दर्भ में
Abstract
हिन्दी कथा-साहित्य में मुंशी प्रेमचंद का स्थान अत्यंत विशिष्ट और महत्वपूर्ण है। वे उस युग के लेखक थे, जब भारत सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संक्रमण के दौर से गुजर रहा था। प्रेमचंद ने अपने साहित्य में ग्रामीण भारत की पीड़ा, संघर्ष, शोषण, धार्मिक पाखंड, जातिगत भेदभाव और स्त्रियों की दयनीय दशा को अत्यंत संवेदनशीलता और यथार्थ दृष्टि से प्रस्तुत किया है। उन्होंने न केवल समाज के वंचित वर्ग को स्वर दिया, बल्कि कथा के माध्यम से पाठकों को सोचने पर भी विवश किया।
Downloads
Published
Issue
Section
License

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.