शिरोमणि संत रविदास जी का काव्य - संगीतात्मकता से ओत-प्रोत काव्य

Authors

  • बलवान सिंह, डॉ. अजयपाल सिंह Author

Abstract

भक्तिकाल के शिरोमणि संत एवं श्रेष्ठ कवि गुरु रविदास की सारी वाणी गेय है और अनेक रागों से ओत-प्रोत है वाणी के रागों को समझने से पहले राग के अर्थों को जानना ज़रुरी है रागका शाब्दिक अर्थ हैमनोवैज्ञानिक रूप से रंग जाना राग के माध्यम से हृदय की भावनाओं, खुशी-गमी के भीतरी द्रव्य भाव को समझा जा सकता है मन की विह्वलता, हृदय की पुकार, संगीत द्वारा ही साकार होती है काव्य और संगीत का अटूट संबंध होता है

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Published

2025-07-04

How to Cite

शिरोमणि संत रविदास जी का काव्य - संगीतात्मकता से ओत-प्रोत काव्य. (2025). अमृत काल (Amrit Kaal), ISSN: 3048-5118, 3(3), 1-12. https://languagejournals.com/index.php/amritkaal_Journal/article/view/79