शिरोमणि संत रविदास जी का काव्य - संगीतात्मकता से ओत-प्रोत काव्य
Abstract
भक्तिकाल के शिरोमणि संत एवं श्रेष्ठ कवि गुरु रविदास की सारी वाणी गेय है और अनेक रागों से ओत-प्रोत है । वाणी के रागों को समझने से पहले राग के अर्थों को जानना ज़रुरी है । ‘राग’ का शाब्दिक अर्थ है – ‘मनोवैज्ञानिक रूप से रंग जाना’ । राग के माध्यम से हृदय की भावनाओं, खुशी-गमी के भीतरी द्रव्य भाव को समझा जा सकता है । मन की विह्वलता, हृदय की पुकार, संगीत द्वारा ही साकार होती है । काव्य और संगीत का अटूट संबंध होता है ।
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